Hi Friends,

Even as I launch this today ( my 80th Birthday ), I realize that there is yet so much to say and do. There is just no time to look back, no time to wonder,"Will anyone read these pages?"

With regards,
Hemen Parekh
27 June 2013

Now as I approach my 90th birthday ( 27 June 2023 ) , I invite you to visit my Digital Avatar ( www.hemenparekh.ai ) – and continue chatting with me , even when I am no more here physically

Friday, 26 August 2016

इन्हें कैसे रोक पाओंगी ?



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तुम्हे तो आना था 
आषाढ़ में ,
क्यों चल दिए 
कहे बिना 
अलविदा  ?

ज़रूर होगा 
कुछ तो बहाना  ?

ऐसे तो भूला न पाओगी  !

जहां भी हो ,
मेरे गीत तुम्हारे पैरों को 
छू लेंगे  !

तुम्हारे पायल को 
चूम लेंगे !

इन्हें 
कैसे रोक पाओंगी  ?

मैंने तो ख्वाब देखे थे 
बिराने में बहार  देखि थी ,

'गर  तुम चल दी 
कहे बिना 
सायोनारा ,

मैं क्यों करूँ 
किनारा  ?

तुम्हारे जिस्म  पर 
था भी अगर 
किसी और का साया ,

तो ये भी सच हैं ,


तुम्हारे रूह पर 
मेरे सिवा 
न कोई छाया  !

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27  Aug  2016

www.hemenparekh.in > Poems ( Hindi )








Thursday, 25 August 2016

मैं हूँ कृष्ण ; मैं कृष्ण हूँ !

https://youtu.be/C-sj_W38-30


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उखेड़ कर फेंक दिए मैंने 
कश्ती के पतवार ,
सोचा ,
तुम्हारे आँचल के सहारे 
होगा पार 
समंदर संसार  ;

मगर 
मेरी नाव का नाम था ,
" निराशा "
मेरे लिए 
मझधार था किनारा  !

मैं  हूँ कृष्ण 
तेरे बिना अपूर्ण  ;

हज़ारों साल पहले 
कौन्तेय भी तो  डरा था ,
सामने देख कर 
भाई , भतीजे , भीष्म को ,
मन ही मन 
थरथरा  था  ;

तब मुझे 
गीता गानी पड़ी ,
गति कर्म की 
समज़ानी पड़ी ;

जिन्हों ने किया 
प्यार मुझसे ,
जले जो मेरी प्रीत के 
पावक  अगन में ,

उनके पाप और पुण्य का 
क्षय 
मैंने ही किया  !

मैं हूँ कृष्ण 
मैं कृष्ण हूँ  !

तू भी तो मिली है मुझे 
जन्मो जन्म ,

बनके 
राधिका श्याम की ,
सीता राम की ,
सावित्री सत्यवान की  ;

इक और बार आजा 
तोड़के बंधन कर्म के ;

तेरे लिए ही तो बज रही हैं 
आज ,
बांसुरी कृष्ण की 
जमुना तीरे  

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Hindi Transliteration /  25  Aug  2016

Original Gujarati Version /  22  Nov  1979

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I am Krishna; I am Krishna!

I tore it up and threw it away

boat hull,

thought ,

with the support of your lap

will cross

Sea world;

But

The name of my boat was,

" Disappointment "

For me

The beach was the shore!

I am Krishna

Incomplete without you;

thousands of years ago

Kaunteya was also scared.

looking ahead

To brother, nephew, Bhishma,

In my heart

Was trembling;

then me

Had to sing Geeta,

speed of action

Had to understand;

who did

love me,

who burns for my love

In the sacred fire,

of their sins and virtues

Decay

I did it!

I am Krishna

I am Krishna!

I have found you too

birth birth,

becoming

Radhika Shyam's,

Sita Ram's,

Savitri Satyavan's;

come one more time

Break the bonds of karma;

It's ringing only for you

Today ,

flute of krishna

Jamuna Teere

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Translated In Google Translate - 04/03/2024

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હું કૃષ્ણ છું , હું કૃષ્ણ છું

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તારા આંચલ ના પતવાર ની આશ માં ,
મારી કશ્તિ ના સઢ મેં ફાડી નાખ્યા ;

પણ ,

નિરાશા ની નૌકા ને
કિનારો મઝધાર છે  !

રાધિકા ,
ભૂલી ગઈ ?

હું કૃષ્ણ છું ,
તારા વિના
હું અપૂર્ણ છું  :

ઘણા વર્ષો પહેલા
સગાઓ ને મારતા પહેલા ,
કૌન્તેય પણ
કર્મ થી ડર્યો હતો
મન હી મન થરથર્યો  હતો  --

મારે ગીતા ગાવી પડી
કર્મ ની ગતિ
સમજાવી પડી ;

જેણે જેણે
મને પ્રેમ કર્યો છે ,

મારી પ્રીત ની પાવક જ્વાળા માં જળી ,
તેના પાપ પુણ્ય નો
મેં ક્ષય કર્યો છે  :

હું કૃષ્ણ છું , હું કૃષ્ણ છું ;

હજારો વર્ષ થી
જનમો જનમ
મળી શું તું નથી ?


રાધિકે ,તારા કૃષ્ણ ને  ?
સીતા બની રામને      ?
સાવિત્રી સત્યવાન ને  ?

પછી આજે ,

બંધનો કર્મ ના તોડી
જા  દોડી ;

છેડી છે આજે
તારે કાજે
શ્યામે તારા
જમુના તીરે
બંસરી .






Friday, 12 August 2016

कितने वार कर पाओगी ?



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चलाये जो तिर तुमने 
नज़रों से ,
वो तो आज भी वहीँ हैं ,
जहाँ मैंने झेले थे  ;

और ,
अब भी गिर रहे है 
तुम्हारे दामन पर 
मेरे  
ज़ख़्मी जिगर से खून के कतरे ,

हर एक कतरे से 
उभरता है ,

तुम्हारा  एक और चाहनेवाला  ,
तुम्हारे तीरों को 
खुद के जिगर पर झेलनेवाला  !

तीर चलाने वाली ,
तुम थक जाओगी  !

कहाँ तक , कितने ,
वार कर पाओगी  ?

तीरों के बहाने क्या 
मेरे  दिल में 
समा जाओगी  ?

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13  August  2016

www.hemenparekh.in > Poems ( Hindi )
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How many attacks will you be able to make?

whatever direction you take

from the eyes,

They are still there today,

Where I had suffered;

And ,

still falling

on your lap

My

Drops of blood from the injured liver,

from every bit

emerges,

Another fan of yours,

your arrows

Bearer on one's own liver!

archer,

You will get tired!

How far, how many,

Will you be able to attack?

What about arrows?

in my heart

Will you fit in?

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Translated In Google Translate - 04/03/2024

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Thursday, 11 August 2016

कुछ कम ही देखा !



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कभी कभी शोचता हूँ 
क्या तुम्हे 
जीभर के देखा  ?

क्यों बार बार लगता है ,
कुछ कम ही देखा  !

क्या 
एक उम्र तक 
तुम्हारी छवि देखने से 
काम मेरा बन जायेगा  ?

अब इन फ़िज़ूल सवालातों से 
क्या लेना  ?

जब इन आँखों की 
रौशनी चली जाएगी ,
तब क्या देखु  ?

देखने वाली बात भूल कर 
अहेसास वाली बात 
ज़रूर बन पायेगी  !

जब तू 
मेरे रूह में बसी हो ,

तब 
तुम्हारे जिस्म को 
गौर से देखा नहीं ,

ये मुझे 
क्यों सतायेगा  ?

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10  Aug  2016

www.hemenparekh.in > Poems ( Hindi )
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Seen Very Little!

sometimes i think

do you

Looked to your heart's content?

Why do I feel again and again,

Seen very little!

What

up to an age

from seeing your image

Will the work be done for me?

Now from these useless questions

What to take?

when these eyes

The light will go out,

Then what should I see?

forgetting the thing to see

matter of feeling

Will definitely be able to make it!

when you

You reside in my soul,

Then

to your body

Didn't look carefully,

this me

Why will it bother you?

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Translated In Google Translate - 04/03/2024

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Wednesday, 10 August 2016

मुझे , मेरे हाल पर छोड़ दो



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मुझे आज कुछ कहना है 
सुनोगी  ?

की तुम भी कुछ कहोगी  ?

रह रह के उठते सवाल का 
है कोई जवाब तुम्हारे पास  ?

जब तुम ने जाना की 
मेरे सिवा ,
ना होगी तुम्हारी कोई अलग दुनिया ,
तब मुझे क्यों न रोका ?

कौन सी मज़बूरी ने 
खुद के अरमानो का गला घोंट कर 
खामोश रख्हा  ?

गलती मेरी थी 
इसलिए मैं तो,
आज भी खामोश हूँ  !

तुम से क्या जवाब मांगू  ?
सवाल तुम से नहीं 
खुद से करना है !

तक़दीर का बहाना बनाके 
जीता हूँ 

और पूछता हूँ ,
तक़दीर का मारा हूँ 
या तुम्हारा गुनहगार हूँ ?

'गर गुन्हा मैंने किया  
तो मुझे , मेरे हाल पर छोड़ दो ;

तुम्हारे रहम के 
मैं काबिल नहीं  !

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10  August  2016

www.hemenparekh.in > Poems ( Hindi )
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Leave me on my own

I have something to say today

will you listen?

Or will you also say something?

 

of the constantly arising question

Do you have any answer?

when you knew

except me,

You will not have any separate world,

Then why didn't you stop me?

what compulsion

by strangulating one's own desires

Kept quiet?

it was my fault

That's why I,

I am silent even today!

What answer should I ask from you?

question not to you

Have to do it yourself!

using fate as an excuse

I have won

And I ask,

I am struck by fate

Or am I your culprit?

'If I committed a crime

So leave me to my fate;

of your mercy

I am not worthy!

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Translated In Google Translate - 04/03/2024

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Saturday, 6 August 2016

रात में तो रहम खाओ !



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एक ज़माना था 
सुबह की गाडी से मैं आता था ,
और 
शाम होते चला जाता था ;

अब क्या ज़माना हैं  !

रात की पाँख पर उड़ कर 
तुम आती हो ,
और सुबह होने से पहले ही 
चली जाती हो !

ज़रूर , मैंने चाहा 
तुम आओ ,
कम से कम 
ख्वाब से तो बहेलाओँ  !

मगर , सताने का 
ये कैसा बहाना ?

मैंने तो नहीं कहा था 
सखियो को साथ लाओ  ! 

दिन भर तो तुम्हे 
ढूंढता फिरता हूँ ,
फिर रात की आश में 
अँधेरे के आगोश में 
सो जाता हूँ ,

रात में तो रहम खाओ  !

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07  Aug  2016

www.hemenparekh.in > Poems ( Hindi )
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Have mercy at night!

there was a time

I used to come by morning train,

And

Evening went on;

What a time it is now!

flying on the wings of the night

you come,

and before the dawn

You go away!

sure, i wanted

You come ,

at least

Let me seduce you with dreams!

But, to torment

What kind of excuse is this?

I didn't say that

Bring your friends along!

you all day long

I keep searching,

then in the hope of night

in the embrace of darkness

I go to sleep,

Have mercy at night!

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Translated In Google Translate - 04/03/2024