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तुम्हे तो आना था
आषाढ़ में ,
क्यों चल दिए
कहे बिना
अलविदा ?
ज़रूर होगा
कुछ तो बहाना ?
ऐसे तो भूला न पाओगी !
जहां भी हो ,
मेरे गीत तुम्हारे पैरों को
छू लेंगे !
तुम्हारे पायल को
चूम लेंगे !
इन्हें
कैसे रोक पाओंगी ?
मैंने तो ख्वाब देखे थे
बिराने में बहार देखि थी ,
'गर तुम चल दी
कहे बिना
सायोनारा ,
मैं क्यों करूँ
किनारा ?
तुम्हारे जिस्म पर
था भी अगर
किसी और का साया ,
तो ये भी सच हैं ,
तुम्हारे रूह पर
मेरे सिवा
न कोई छाया !
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27 Aug 2016
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