इक दिन सुब्हा
तूने कहा :
" कुछ कहोगे भी तो ? "
कहने को तो बहुत था
कुछ कह न पाया !
मेरे प्यार को बयाँ करने ,
होठो पर
एक भी
शब्द न आया !
मानो
युद्ध के मैदान में
अर्जुन के हाथ से
गांडीव सरकता रहा ,
ना एक
तीर चला पाया !
पर उन्हें तो
सहारा था कृष्ण का !
वो कौन सी मजबूरी थी
जिसका
अफ़सोस उठाये
मैं आज भी भटकता हूँ ?
इस सोच में डूबा हूँ
क्यों न तूने कहा ,
" 'गर बयाँ न कर पाओ लब्ज़ो में ,
आँखों से ही कहे दो ,
तुम क्या हो मेरे "
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27 July 2018 ( DP )
तूने कहा :
" कुछ कहोगे भी तो ? "
कहने को तो बहुत था
कुछ कह न पाया !
मेरे प्यार को बयाँ करने ,
होठो पर
एक भी
शब्द न आया !
मानो
युद्ध के मैदान में
अर्जुन के हाथ से
गांडीव सरकता रहा ,
ना एक
तीर चला पाया !
पर उन्हें तो
सहारा था कृष्ण का !
वो कौन सी मजबूरी थी
जिसका
अफ़सोस उठाये
मैं आज भी भटकता हूँ ?
इस सोच में डूबा हूँ
क्यों न तूने कहा ,
" 'गर बयाँ न कर पाओ लब्ज़ो में ,
आँखों से ही कहे दो ,
तुम क्या हो मेरे "
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27 July 2018 ( DP )
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Tell it with your eyes
one morning
You said:
"Will you say something?"
there was a lot to say
Couldn't say anything!
to express my love,
on the lips
even one
No words came!
As if
on the battlefield
from Arjun's hand
Gandiva kept moving,
neither one
Could shoot the arrow!
but they
Krishna had support!
what compulsion was that
Whose
feel sorry for
I still wander today?
I am lost in this thought
Why didn't you say?
"'If you can't express it in words,
Tell me with your eyes,
"What are you to me?"
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Translated In Google Translate - 27/02/2024
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