Hindi transliteration ( 31 Aug 2018 ) of original Gujarati
कुछ चला भी तो कैसे
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संसार का सूरज सुलगता था ,
मानो तुज पर
आग बन के
आभ से बरसता था !
चाहा तो खूब
होता अगर पेड़ पलाश का ,
छाव बन कर छा जाता ;
कुछ चला भी तो कैसे !
बन के परछाई तेरी
पीछे पीछे !
तू रूप की रानी
और मै चला
बन के तेरी
परछाई काली ;
जब शाम ढले ,
और चले
सूरज सागर में
सो जाने ,
तब उठा लेना मुझे जमीं से ,
सिमट कर पल्लू में तेरे
दामन में तेरे
रात भर
बाँध रखना !
પછાડે પછાડે તારી { 27 April 2018 }
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कुछ चला भी तो कैसे
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संसार का सूरज सुलगता था ,
मानो तुज पर
आग बन के
आभ से बरसता था !
चाहा तो खूब
होता अगर पेड़ पलाश का ,
छाव बन कर छा जाता ;
कुछ चला भी तो कैसे !
बन के परछाई तेरी
पीछे पीछे !
तू रूप की रानी
और मै चला
बन के तेरी
परछाई काली ;
जब शाम ढले ,
और चले
सूरज सागर में
सो जाने ,
तब उठा लेना मुझे जमीं से ,
सिमट कर पल्लू में तेरे
दामन में तेरे
रात भर
बाँध रखना !
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Even if something works, how can it happen?
The sun of the world was burning,
as if on you
like fire
Was showering with aura!
I want it a lot
If the tree was of Palash,
Becomes covered like a shade;
How can something work?
I became your shadow
behind
!
you are the queen of beauty
and i went
become yours
Shadow black;
When evening falls,
and let's go
sun in the ocean
go to sleep,
Then pick me up from the ground,
wrapped in your pallu
in your lap
whole night
Keep it tied!
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Translated In Google Translate - 27/02/2024
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