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ये किस पथ का राही हूँ ?
जिस पड़ाव पर ठहरना था
वहाँ चलता रहा ,
और अब
चलने को जी नहीं चाहता !
ये कौन सी राहें हैं
जहां मंज़िले आती रही ,
आके जाती रही ,
मगर रास्ता ना रुका !
ये क्या दयार हैं
जहां रात आके रुक गई ,
पर चाँद ना निकला ?
ये कैसी महफ़िल हैं
जहां लोग तो आते हैं
शराब भी पीते हैं
मगर
बिना पहचाने
चले जाते हैं ?
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06 Jan 2016 #
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