ना कोई पास
न कोई आश ,
जहाँ देखू वहां
धुंधला सा आभास !
काश !
मैं कोहरा हो के
तुम्हे छू लेता ,
बाँहों में मेरी
तुम्हे लिपट लेता !
कहो ,
कौन सा गीत गाउ ?
किस राग में बुलाऊँ ?
लिखे जो गीत तुम्हारे लिए
किस कदर सुनाऊं ?
अब मेरा साज
बेसुरा बन चला है !
एक एक कर
टूट रहे है बिना के तार ;
ठहरो ,
तुम्हारे पास
बिना को तो यहीं छोड़ के
आना है !
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31 May 2016
www.hemenparekh.in > Poems ( Hindi )
Unattached Wires Are Breaking
no pass
no hope,
wherever I look
A hazy impression!
If only
!
I am a fog
touch you,
in my arms
Would have hugged you!
Say ,
Which song should I sing?
In which raga should I call?
The song I wrote for you
How should I tell?
now my instrument
He has become dissonant!
one by one
The strings are breaking without any
reason;
wait,
with you
leaving Bina here
Must come !
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Translated In Google Translate - 04/03/2024