आवारपुर उठो ,
अभी तो बहुत लम्बी सफर बाकी हैं
क्यूंकि
अभी भी तुम्हारी छावं में
बैलो की जगह खेत में ,
बच्चे जूते जाते हैं !
तुम महान हो ,
तुम्हारे कंधो पर
देश की जिम्मेवारी हैं !
तुम्हे देखना है की
तुम्हारे पुर्जे कभी बंध हो न पावे ,
तुम्हारी मशीने
कभी सो न जावे !
मगर इन ऊंचाईओ से
जिसके कंधे पर तुम खड़े हो ,
उनकी आवाज़ भी तो सुननी है !
तुम्हारी छाव में अभी भी ,
कई माँ ए
बच्चे को रोटी के बदले
कहानी सूना के सूला देती है !
तुम्हे अभी
लम्बी सफर तय करनी है !
आओ , पकडलो हाथ
बिना जिनके साथ ,
तुम अकेले चल नहीं पाओंगे ;
तुम्हारे जो हमसफ़र है
उन्हें छोड़के
क्या आगे बढ़ पाओंगे ?
सुनहरी कल के सपने
देखने वालो , हम सब है ;
रात भर सोनेवाले भी
हम सब है ;
उठो , भयी भोर
और चल दो
इक नयी क्षितिज की और !
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05 March 1986 / #
www.hemenparekh.in / Poems ( hindi )
Come, Hold My Hand
Aawarpur wake up,
there is still a long way to go
because
still in your shadow
In the field instead of bulls,
Children go to shoes!
you are great ,
on your shoulders
It is the responsibility of the country!
you have to see that
May your parts never be fixed,
your machines
Never sleep!
But from these heights
On whose shoulders you stand,
His voice also needs to be heard!
Still in your shadow,
many mother a
child in exchange for bread
The story puts you to sleep!
you now
Long journey to go!
Come, hold my hand
without whom,
You will not be able to walk alone;
your companion
except them
Will you be able to move forward?
dreams of a brighter tomorrow
We all are observers;
even those who sleep all night
We all are;
wake up, fearful dawn
and let's go
Towards a new horizon!
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Translated In Google Translate - 05/03/2024
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