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हीला के पैर की अंगुली
तू बोली ,
" उट्ठो ,
लेके मुख पर
शर्म की लाली
उषा भी तो
आ गयी "
शर तक खिंच के चादर ,
मैं बोला ,
" रहने भी दो ,
और दो घडी
सोने भी दो ;
उजाले से ज्यादा
आये जो रात के अंधेरो में
वो सपनो में ,
तुम
कुछ ज्यादा ही भायी "
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Much more than that ,
Heela ' s toe said ,
" Utho ,
leke mukha par sharam ki lali
usha bhi toh aa gayi .
" Shar tak kinch
ke chadar ,
I said ,
" Let there be , and
let there be two hours of sleep ;
more than the light that
comes in the darkness of the
night in those dreams ,
you are more than enough . "
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Translated In Bhashini - 13/02/2024
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