ना रहे फूलों में ख्षूबू
और आसमां के रंग ,
छोड़ के इस जहाँ को
चलो
हम चले साथ साथ ;
पीछे छूट जाएँगी
कुछ
रूखी , सुखी , स्मृतिओं ;
पिप्पल के पीले पत्तो की तरह
दूर दूर तक , उड़ जाएँगी
समय की सीमाओं के पार !
पत्ते क्या बता पाएंगे
की
पिप्पल में फूल
कभी ना आएंगे ?
हमारे जीवन के
अधूरेपन को
क्या
स्मृतिओं से भर पाओगी ?
तो
चलो चले
जब तक , हवाओंमे
तेरे मेरे
गीत लहराते है ,
और घुघवटे कबूतर के पींछे की नजाकत
तेरे गालों से
शर्माती है !
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Written sometimes in 2019 / Not sure whether already uploaded earlier
और आसमां के रंग ,
छोड़ के इस जहाँ को
चलो
हम चले साथ साथ ;
पीछे छूट जाएँगी
कुछ
रूखी , सुखी , स्मृतिओं ;
पिप्पल के पीले पत्तो की तरह
दूर दूर तक , उड़ जाएँगी
समय की सीमाओं के पार !
पत्ते क्या बता पाएंगे
की
पिप्पल में फूल
कभी ना आएंगे ?
हमारे जीवन के
अधूरेपन को
क्या
स्मृतिओं से भर पाओगी ?
तो
चलो चले
जब तक , हवाओंमे
तेरे मेरे
गीत लहराते है ,
और घुघवटे कबूतर के पींछे की नजाकत
तेरे गालों से
शर्माती है !
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Written sometimes in 2019 / Not sure whether already uploaded earlier
Translated from original English : THE WINDS OF TIME : dt 10 Oct 1988
https://poemseng.blogspot.com/2013/08/before-fragrance-leaves-flowers-and-sky.html
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The Winds of Time
Before the fragrance leaves the flowers
And the sky gives up its colors ,
Let us leave this world
The two of us
Together,
Leaving behind, a few
Shrunken , shriveled memories
Which
Like the yellowed leaves of
The Pippul tree –
Will get scattered
Far and wide
By the winds of Time.
The leaves cannot tell
That the Pippul was barren,
Nor can memories echo
The emptiness
Of our lives.
So let us leave
While we can still
Hear the wind sing
And feel the softness
Of a feather.
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Translated In Google Translate - 26/02/2024
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