Hi Friends,

Even as I launch this today ( my 80th Birthday ), I realize that there is yet so much to say and do. There is just no time to look back, no time to wonder,"Will anyone read these pages?"

With regards,
Hemen Parekh
27 June 2013

Now as I approach my 90th birthday ( 27 June 2023 ) , I invite you to visit my Digital Avatar ( www.hemenparekh.ai ) – and continue chatting with me , even when I am no more here physically

Wednesday, 31 July 2019

मैं हूँ तेरी कठपुतली ,

देर रात एक सपना आया ,
शिशिर की शीत रात को आके 
मन में मेरे ,
ख्वाब एक समाया  ;

पहेलगाम की उन वादियों की 
याद भी लाया 
जब नदी के बहते जल में 
पैर डुबो के 
तूने पूछा , 


"  क्या रह  पाओगे यहां ?
   कुछ दिनों में ,
   बहता पानी बर्फ होगा ,
   फिर ना तो पैर हिलेंगे 
   न पायल खनकेंगे ,

   हो शकता है 
   बसंत आने तक 
   हिम पिघलने तक ,
   मुझे 
   कहीं न जाना होगा ;

   पर तुम तो हो 
   सूरज हेम का ,
   मुझे देख लो इस कदर के 
   बर्फ पिघल जायेगा 
   तुम्हारी एक ही किरण काफी है ;

   मैं हूँ तेरी कठपुतली ,
   आके , हर बसंत 
   बजाके बिन ,
   क्या 
   मेरे प्राणो को 
   सोये हुए मेरे भाग को 
   जगा दोंगे ?

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 31  July  2019  /  Mumbai
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I am your puppet

I had a dream late at night,

come on a cold winter night

in my mind,

The dream is united;

of those valleys of Pahelgam

also reminded me

When in the flowing water of the river

dip your feet

you asked,

"Will you be able to stay here?

   In a few days,

   flowing water will turn into ice,

   Then neither legs will move

   Neither the anklets will jingle,

   it is possible

   until spring comes

   Until the snow melts,   Me

   Will not have to go anywhere;

   but you are there

   Sun of Hem,

   look at me like this

   the ice will melt

   Your one ray is enough;

I am your puppet,

   Come, every spring

   Without playing,

   What

   to my life

   the sleeping part of me

   Will you wake me up?

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Translated In Google Translate - 22/02/2024

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Saturday, 27 July 2019

क्या होना चाहोगे , अगले जनम ?




Transliteration from original Gujarati  

તારે શું થવું છે ?  [  07 Mar 2016 ]


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क्या होना चाहोगे , अगले जनम ?    /  28  July  2019 

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अगर तू पूछे ,

" सनम ,
क्या होना चाहोगे , अगले जनम ?  "

तो क्या कहूं ?  क्या ना कहूं ?

लिस्ट काफी लंबा है  !

गोरे गोरे तेरे गाल पर 
काला इक तिल बनु ,
बुरा न मानो तो ,
एक और तेरे चिबुक पर  ;

तेरे काले घने  ज़ुल्फो से खेलने 
आवु बनी  अनिल 
ईशान से  ;

आँखों में जो लगादे 
हर सुबह 
तो क्यों न बनु 
रात जैसा काला काजल ?

और आँखों से गिरकर 
कानो में झूलने दे 
तो बनु मैं , कर्ण कुण्डल  !

कुबूल है तुझे 
'गर मैं बन पाऊ 
तेरे होंठो की लाली ,
चौबीस सो घंटे 
तेरे होठों को चुमनेवाली  ?


इजाजत हो तो तेरे 
गले को घर बनालू ,
मोतिओं का हार  बन
न रोक पाओ तुम 
वहाँ तक ज़ूम जाऊ  !

और बांधले तू मुझे 
पैरों में तेरे नाजुक ,
तो 
बन  घुँघरू , खनका करू  ;

ख्वाहिशो है हज़ार 
कितनी बताऊँ , बार बार ?

'गर मानो तो कहूं 
कौनसी है सबसे प्यारी  ?

क्या बनने दोगी 
तेरी लाल पिली चुनरी का पालव ?

फिर कभी न तेरे दामन से 
अलग होना न  चाहूँ  !

अब छोडो मेरी बात ,

" बोलो , 
  तुम्हे क्या होना है , अगले जनम ? 
  वो क्या बात जो कर न पायी , इस जनम ? 

  शर्म आती है ?
  तो खुद अपने अनेरे अंदाज़ में 
  आँखे उठाके 
  इशारो से ही बता दो  !

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28  July  2019

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What would you like to happen in your next life?

If you ask,

" Lover ,

What would you like to happen in your next life? ,

So what should I say? What should I not say?

The list is quite long!

fair whites on your cheeks

Become a black mole,

If you don't mind,

Another one on your cheek;

play with your thick black locks

Aavu became Anil

From Ishaan;

whatever you put in your eyes

every morning

so why not become

Kajal as black as night?

and falling from the eyes

let it dangle in your ears

So become me, Karna Kundal!

you accept

'If I can become

the redness of your lips,

twenty four hundred hours

The one who kisses your lips?

if you allow me

Make your neck a home,

become a pearl necklace

you can't stop me

Zoom till there!

and you tie me

Your delicate feet,So

Become a curl, let it rustle;

 

I have a thousand wishes

How many times should I tell you again and again?

'If you agree, I will tell you.

Which one is the cutest?

what will you let become

The cradle of your red yellow chunari?

never from your side again

Don't want to be separated!

Now leave it to me,

" Say ,

  What do you want to happen in the next life?

  What is that thing that I could not do in this birth?

  Feel ashamed ?

  So in my own style

  raised eyes

  Tell me with gestures only!

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Translated In Google Translate - 22/02/2024

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Original Gujarati  : 

તારે શું થવું છે ?


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જો તું મને પૂછે ,
આવતે ભવે તારે શું થવું છે  ?

શું કહું ? 
શું ગણાવું ?

લિસ્ટ લાંબુ છે  !

ગોરા ગોરા તારા ગાલ પર 
કાળા તલ નું ટપકું થવું છે ;

કાળા તારા કેશ થી 
રમત રમવા 
વસંત નો વાયરો થવું છે ;

આંખ માં જો રોજ આંજે , તો 
આંજણ થવું છે  !

કર્ણ માં ઝૂલવા દે તો 
કુંડળ કંચન નું થવું છે ;

સવાર સાંજ તારા 
ઓષ્ઠ ને ચૂમવા દે તો ,
લાલ લાલ ,
લાલી થવું છે  ;

ગ્રિવા થી સહેજ નીચે 
સરકવા દે તો 
હાર હેમ નો થવું છે  ;


'ને કરવા દે જો અડપલાં 
તો  ?

તો , પીતાંબરી પાલવ થવું છે  !

પગ માં ખનકવા મળે તો 
ઝણકતું ઝાંઝર થવું છે  !

ખ્વાહીશો હઝાર છે 
કહેતા નહિ પાર છે  ; 

તારે શું થવું છે ?

મારો પણ ભરમ ભાંગે 

બોલતા તને જો 
શરમ ના'વે  !  

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07  March  2016 



  

Thursday, 25 July 2019

क्या प्रीतम आया ?




Hindi transliteration /  25 July  2019

क्या प्रीतम आया ?

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दिल के शोले 
अब बुज़ने चले ,
जो कभी अंगारे थे 
वो आज 
राख होने चले  ;

कभी कभा , कहीं से आके 
हवाओं के ज़ोके ,
दामन से मेरी चुनरी उड़ाते है ;

बंध कर आँखे शोचती हूँ ,

" क्या प्रीतम आया ?
  पुरानी शरारत लाया ? "

इन खयालो 
अतीत से आते है ,
खूब सताते है 
और कहते ;

" कहो पिया 
कहाँ आके,
किस कदर  मिलु ?

जलादे फिर एकबार ,
प्यार के वो शोले 
सनम ,
हो न पाए ख़ाक 
तेरी इश्क के शोले ;

मुझे आज 
तेरी आग में जलना है ,
शमा न होके ,
मुझे आज 
परवाना होना है  !

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Has Pritam come?

dil ke sholay

Now let's extinguish it,

who were once embers

that today

Let it turn to ashes;

 

sometimes, come from somewhere

gusts of wind,

They blow my chunari from the hem;

 

I close my eyes and wash my eyes,

 

"Has Pritam come?

  Brought up an old mischief? ,

 

think about these

come from the past,

bothers me a lot

And say;

 

"Tell me Piya

Where did you come?

How should I meet?

 

Burn once again,

those shoals of love

Lover ,

May it not be ashes

Shows of your love;

 

today I

I want to burn in your fire,

Without any light,

today I

Must have a license!

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Translated In Google Translate - 22/02/2024

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From following original Gujarati :  ક્યાં આવી ને મળું  ? : 

રાખ વળી ગયી છે ,
અંતર નાં ઓલવાતા અંગારા પર 
ખાક વળી ગયી છે  ;

ક્યારેક 
ક્યાંક થી 
વસંત નો વાયરો વાય ,

મારા પાલવ નીચે 
જાણે 
સાયબા નો હાથ અડી જાય ,

ત્યારે પતંગિયા ની પાંખે ઉડી 
અતીત ઓષ્ટ ને ચૂમે 
મારું મનડું ઝૂમે ,

રાખ ઉડે , ને 
રોમે રોમે 
પ્રેમ અગન માં જળુ --

" પ્રિતમ , કહે ને ,
કેમ કરી ને 
ક્યાં આવી ને મળું  ?

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Ahemadabad Airport /  April 06 1989 

Tuesday, 23 July 2019

वासवदत्ता ( Vasavdatta )

Transliteration from original English "  Vasavdatta "   [ dt 10  Aug 1970 ]

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वासवदत्ता   /  22  July  2019

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घनी ,अँधेरी रात में
तूफ़ान उट्ठा ,
सून कर बादलों की गरज ,
देख बिजलियों की चमक ,

दिल में वासवदत्ता के
उठी एक आंधी  ;

तय न कर पायी
क्या मचल रहा था ज्यादा ,
हवा ओ मे झूमता
क्षिप्रा नदी का पूल
या ,
अरमाओ की आंधी से मचलता
आँचल तले , अपना ऊर  ?

पूल के उस पार
खड़ा था प्रीतम ,
बांसुरी के सूरो से
कर रहा था बेताब ,
बेचैन ,
उस रात को
प्रीतम  !


चलो जल्दी ,
वासवदत्ता ,
समय बिता जा रहा है
वासवदत्ता  !

चलो आहिस्ता , आहिस्ता
धीरे कदम , धीमे कदम
न कोई रुकावट राह में
पीछे छोड़ के  आँगन ,
जरा तेज भागो
जरा दोड़ो ,
वासवदत्ता  !

'गर काजल
तेरी आँखों के बजाय
लग भी गया गालो पे ,

और ,

बिन सँवारे ज़ुल्फ़े को
अनिल चूमता रहे ,

तो चूमने दो , वासवदत्ता ,

कब तक इंतज़ार करेगा , प्रीतम ?

कैसी भयानक है ये रात  !

कितना डरावना है , हवा का चीत्कार !

'गर पानी से भरी है तेरी राहें ,
मत उठाव पल्लू ,
और अगर बरखा ने भिगो दिया तेरा दामन ,
भीगने दे !

पहुँच कर क्षिप्रा तिरे
बोली वासवदत्ता ;

"  जिसके सुरों से
पागल हो रही हूँ ,
वो बांसुरी को मत बजाओ ,

प्रीतम ,

जिस बिरह की आग में
जल रही हूँ
उसे मत बढ़ाओ   ;

पर ये कौन रुक रहा है
राह मेरा ?
किससे टकरा रहे है
पैर मेरे  ? "

तब
दामिनी की दमक में देखा
एक हसता हुआ चहेरा ;

संभाल साँस को बोली
वासवदत्ता ,

"  कौन हो तुम ?
और इस भयानक रात में
क्यों लेटे हो ज़मीं पर तुम ? "

तब अजनबी बोले :

"  नाम है मेरा , उपगुप्त ,
कर्म से हूँ , साधू  ;
धरती को बना लिया मेरा बिस्तर ,
और
आसमां की ओढ़ चादर
गोद में हरियाली की
लेटता हूँ "

सुनकर बोली , वासवदत्ता  :

"  मुझे माफ़ कर साधू ,
तेरे बदन को
पैरों से छुआ इस लिए  ,
क्षमा कर , साधू ;

बिनती करू
बनो आज रात , महेमान मेरे ,
तो
पाप का प्रायश्चित करू
साधू  !  "

हंस कर बोला  , उपगुप्त  :

" वासवदत्ता ,
आज की रात मेरे नसीब नहीं ,
वादे किये तूने
जिस प्रीतम को ,
जाके कहो उनसे ,
आज की रात तेरे लिए है  !

पर मैं लौट के आऊंगा ,
और उस दिन
वादा मेरा निभाउंगा ,

आज तो किया जो वादा
इस धरती को ,
बस
वही निभाउंगा  !  "

फिर समय की धारा
बहती चली ,
आने वाली हर पल ,
जा कर अतीत में
खोती चली  ;


बरसो बिते,

और एक पूरनमासी की रात
क्षिप्रा के तरंगो पर होके
हलकी हवा चली  ;

तब उपगुप्त
वही राह से निकला ,

देखा ,
मिली थी जहाँ वासवदत्ता
पहेली बार ,
वहीं लेटी  थी जमीं पर ,

लेकर कोई असाध्य रोग ,
बुला कर मौत को
कराहती थी
वासवदत्ता  !

तब ज़ुकके
कानो में बोला उपगुप्त :

" देखो
वासवदत्ता ,
मेरा वादा निभाने
मैं आ गया हूँ  "

गुनगुनाई वासवदत्ता :

मुझे मत छुओ , साधू ,
कुष्टरोगी को मत छुओ ;

मेरे पापो का घड़ा भर चुका है ,
अंतकाल मेरा , आ गया है  !

मेरे चाहनेवालों ने
मुझे ठुकरा दिया है

मुझे शर्मिंदा मत करो , साधू  ! "

तब बोला उपगुप्त :

" काल तो मेरा भी आया है ,
किया था जो तुज़से वादा
वो निभाने की रात
आ गयी है ,
कभी ख़त्म न होने वाली
हमारे मिलन की
सुहागरात लायी है  ,

आभमे सितारों की है चमक ,
फ़ज़ा में लहराती है
फोरम फूलों की ,

क्या , सून पाती हो
मेरी बांसुरी के सुर ?

आज मेरे साथ गाओ
वासवदत्ता ,

मधुमिलन की सुहागरात
आज
मेरे साथ मनाओ ,
वासवदत्ता  !

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Saturday, 20 July 2019

आउंगी कल रात फिर

बरसों हुए ,
तुम्हे मिला था 
जिस्म और रूह के संगम पर ;

फिर एक रात आयी 
क़यामत की बात लायी ,

तुम्हे खो दिया 
दिशा और दिगंत के चौराहे पर  :

तब से लेकर आजतक 
भटकता हूँ ,

मन की उन गलियारिओं में ,
जहां उस भौचाल से गिरे 
खंडेर ही खंडेर है ;

हर खंडेर के सामने ठहर 
पूछता हूँ :

"  क्या , कभी , रहती थी यहां 
   इन्द्र की कोई मेनका  ?  "


तब खंडेर गूंजने लगते है ,

"  रहती तो नहीं ,

पर , हर रात आती है ,
खंडेर में हर 
दिया एक जलाती है  !

जब इंद्र , इंद्र जपते 
सुब्हा हो जाती है ,
तब 
लिपट कर कोहरे में 
कह के ,

"  आउंगी कल रात फिर "

चौराहे से पलट जाती है !

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21  July  2019  /  Mumbai
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I will come again tomorrow night

It's been years,

you had got

At the confluence of body and soul;

then came a night

Brought the matter of doomsday,

lost you

At the intersection of Disha and Digant:

from then till today

I wander,

In those corridors of the mind,

where I fell from that earthquake

A ruin is a ruin;

stop in front of every ruin

i ask :

"Did you ever live here?

   Any Maneka of Indra? ,

Then the ruins start resonating,

"Doesn't she live?

But it comes every night,

Har in ruins

Lights a lamp!

When Indra, Indra chants

morning comes,

Then wrapped in fog

By saying,

"I will come again tomorrow night"

Turns around at the intersection!

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Translated In Google Translate - 22/02/2024

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Friday, 19 July 2019

ज़माने से आँखे मोड़ ली ,

Transliteration from original English poem "  Only  You "  ( dt 01  May  1980  )

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ज़माने से आँखे मोड़ ली ,  /  19  July  2019

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मेरी हर खामियों के 
मिटटी से बने मेरे पैरों के 
बावजूद , 
जिए जाता हूँ ;

तुम पूछो तो कहूं :

तुम मेरी हो , सिर्फ मेरी 
मैं तेरा हूँ ,
तेरे अलावा किसी और का नहीं ;

नैनोसे मेरे 
मिलाके नैन तेरे ,

तू ने तो 
ज़माने से आँखे मोड़ ली ,

बेशक 
तेरे हज़ारो चाहने वाले 
तेरे पैर को छूने 
तड़पते होंगे ;

मुज़मे वो गुस्ताखी कहाँ के 
उठाके नज़र 
गौर से तेरा चहेरा 
देख लू  !

पर आँखे बंध  कर 
तेरे दामन को छुआ 
तब बोल पाया :

उम्र चाहे मेरी हो 
ज़िंदगी तुम्हारी है 

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I have only you,
You have only me :
That is the only reason
I go on living
With all my imperfections,
And my feet of clay ;

You have accepted me
And closed your eyes,
To the rest of the world.

There are many
Who would want
To touch your feet –
I dare not
Even gaze at your Angel face,
But closing my eyes
When I touched your bosom,
It was to tell you
My reason for existence
Is not me,

It is you.
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Translated In Bhashini - 26/02/2024

जब तुम चल दोगी इस जहाँ से [ Part A ]

Incomplete transliteration of original English poem "  Aso  Palav " ( dt 21 Nov  1980 )

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जब तुम चल  दोगी इस जहाँ से   /   19  July  2019

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एक आरज़ू है
कुछ लिखने की ,
मेरे ही , भले बुरे ख़यालों को
बयां करने की  ;

ना ख्यालों को जोड़ना है
ना तोडना है  ;

ये कोई पर्बत के झरने नहीं
जिसका हर बूँद
एक और बून्द से
जुड़ा हुआ है  !

कुछ है तो ये
ज्वालामुखी से उठते शोले
जो मुझे भी डराते है  ;

एक और भी सवाल है
तेरे मेरे अस्तित्व का
( कुछ औरों के जीने का भी ) ;

सवाल है
तेरे मेरे जीने की मकसद का ,

'गर मैंने जीना छोड़ दिया
तो ज़रूर
किसी न   किसी को
कुछ न कुछ
फर्क पड़ेगा ;

शायद ना तुम्हे ,
ना मुझे ,

इस लिए की
इस के बाद
अगला जनम है या नहीं ,
और है भी तो
तुम्हे मिल पाऊंगा
या नहीं  !

ये भी तो सवाल है
सांस आती रही
और बिस साल तक ,
क्या ज़िंदगी बदल जाएगी  ?

क्या
अगले जनम में
तुमसे मिलने की
श्रद्धा हो
तो मौत से क्यों डरूं  ?

पर
मेरे सोने से पहले
तुम्हारी एक लम्बी उम्र की
खवाहिश रखता हूँ  ;

तेरे प्यार के अलावा
एक और फ़र्ज़ निभानी है ,

जो मेरे भरोसे जीते है
उनकी ख्वाहिशो भी
पूरी करनी है  !

उनको कैसे बेसहारा छोड़ दूँ  ?

सांस लेते रहने का
ये भी कैसा बहाना  !

और ये ख़याल भी छूटता नहीं
क्या तुम मेरे साथ
जा पाओगी  ?

ये शोच के भी शर्मिंदा हूँ ;

तूने तो कभी
मेरा साथ न छोड़ा ,
भागता रहा हूँ , तो मैं  !

तुम्हारी वफाओं के
काबिल न रहा !

सवाल तो खुद से करना है ,
जब तुम चल  दोगी इस जहाँ से ,

तब
मैं भी  तुम्हारे साथ चल पाउँगा ?

क्या मैं
तुम्हारे विश्वाश के काबिल
बन पाउँगा  ?

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There is an urge to write,
to let go ,
to let off
all the random thoughts,
some sacred , some vile,
but all mine  ;

The thoughts have no connection,
no links ;

These are not waters of a 
mountain stream
continuous , inseparable ;

My thoughts are like fire crackers,
exploding random ,
startling even me !

There is this question of existence
your ,
mine ,
( - and then there are others ) ;

The " what " and the " why " of
our lives,
your,
mine ;

There will be some difference
( to others ),
if I were to cease
to exist ;

None to me,
nor to you -
although I am not too sure
about a life after death ,
about re-incarnation,
about finding you in the
world beyond ;

But then
what do I have to look forward to ,
if I continue to breathe,
for another 20 years ?

Death ,
born out of " Shradhha "
( to be united with you,
  in the next life ),
would certainly be better  ;

But before I go to sleep,
I pray for your long life ;

Paradoxically ,
or is it my reverence for you ?
or for life ?

There is one mission to fulfill though ,
one obligation ;

To lessen the suffering of those
others,
who have come to depend upon me ,
for whom my life
could be a means to fulfill
some ambitions  ;

I cannot desert them ;

Whether this is my ego
or an excuse to continue my
stale breath ,
I cannot say  ;

There is also this question
of 
your wanting to go with me -

How desperately though ?

I am ashamed to 
even think of this -

You have not failed me so far
whereas
I have been a renegade ;

I have deserted you in the past,
almost :

I have been a weakling
I have let you down  ;

So it is I
who should be asking myself ,
how desperately do I wish
to follow you
to the other world ;

I have a need 
to prove to myself
that I am worthy of
your blind trust  ;

-------------------------- [ A ]

This one supreme sacrifice
can cleanse my past ;
once again 
my glazed eyes can
rest upon your face
without feeling guilty
( I beg you , my friends
  not to close my eyelids
  when I am dead ,
 unless
 you have gifted my eyes
 to bring light
 into the life
 of an unfortunate blind )
--- Most whom I 
( or we ? )
leave behind ,
might think of this
as an act of cowardice
- a running away from responsibilities ;

I beg their pardon,
( I admit ),
for a few minutes of cowerdice
and it is not in our defence
that I beseech them
to ponder over
the tremendous ( almost heroic ),
courage
that you have shown , in particular
and
that I have shown to a lesser extent
during the decades gone
the years of agonies,
the tears of agonies,
that were camoflaged
beneath
two smiling faces ;

I am glad
they could not read the depths
of our eyes !

Yes , dear ones ,
we have tried to grow an
Aso-Palav ,
atop a blazing volcano !

And all those souls
who ever wish to be united
in the life beyond death ,
let them take a small branch
of this Aso-Palav
and plant elsewhere
and tend gently , lovingly
with unflinching faith
in what lies beyond
and the faith will 
come true ;
the faith of Aso
and the faith of Palav ;
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Translated In Bhashini - 26/02/2024