तुम्हे शायद याद हो न हो ,
मैं तो भूल न पाउँगा
उस सुबह की बात को ;
मैं जानबूझ सोता रहा
बिस्तर पर
करवटें बदलता रहा
मन ही मन सोचता रहा ,
मुझे नींद से जगाने
तुम ज़रूर आओगी ;
हुआ भी वैसा
तुम आयी कुछ देर से , पर दुरस्त आयी
न हिलाया हाथ मेरा
न पकड़ा पैर
दो हाथो में जकड
मुँह मेरा ,
ओठों से ओठों का अमृत
तूने पिलाया !
मैं मूंद कर आँखे
सोता रहा ,
समझा
बहाना मेरा बन गया ;
तुम याद करो या ना ,
तुम्हारे घर की छत पर
हुआ जो उस दिन सुब्हे
भूल न पाउँगा
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06 July 2019
मैं तो भूल न पाउँगा
उस सुबह की बात को ;
मैं जानबूझ सोता रहा
बिस्तर पर
करवटें बदलता रहा
मन ही मन सोचता रहा ,
मुझे नींद से जगाने
तुम ज़रूर आओगी ;
हुआ भी वैसा
तुम आयी कुछ देर से , पर दुरस्त आयी
न हिलाया हाथ मेरा
न पकड़ा पैर
दो हाथो में जकड
मुँह मेरा ,
ओठों से ओठों का अमृत
तूने पिलाया !
मैं मूंद कर आँखे
सोता रहा ,
समझा
बहाना मेरा बन गया ;
तुम याद करो या ना ,
तुम्हारे घर की छत पर
हुआ जो उस दिन सुब्हे
भूल न पाउँगा
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06 July 2019
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what happened that morning
You may not remember,
I will not be able to forget
About that morning;
I kept sleeping on purpose
on the bed
kept changing sides
I kept thinking in my mind,
wake me up from sleep
You will definitely come;
the same thing happened
You came a little late, but you came
quickly.
did not shake my hand
did not hold the foot
grip in two hands
my mouth,
nectar of lips
You made me drink!
I close my eyes
kept sleeping,
understood
It became my excuse;
Do you remember or not?
on the roof of your house
what happened that morning
I will not be able to forget
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Translated In Google Translate - 26/02/2024
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